सतीश मैथिल/अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

सरकार स्कूल चलें अभियान को सफल बनाने को लेकर प्रसार प्रचार में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है ताकि बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके। लेकिन कुछ शिक्षकों की लापरवाही के चलते बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। ऐसे दो मामले रायसेन जिले में सामने आए हैं। पहला मामला शासकीय प्राथमिक शाला वामनोद का है जहां गुरुवार को पूरे दिन स्कूल बंद रहा। और तो और इसकी जानकारी संकुल केंद्र सांचेत में भी नही दी गई। ऐसे ही शिक्षकों की मनमानी चल रही है। दूसरे मामले में शासकीय हक़ीमखेड़ी तौर शाला अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही है। यहां पर बच्चों को बाथरूम जाने के लिए और ना ही पानी पीने के लिए व्यवस्था है। शिक्षक मनमर्जी से स्कूल आते हैं। जब उनको जानकारी लेने के लिए फ़ोन लगाया तो पता चला कि वह गुरुवार को छुट्टी पर हैं। वह भी बिना किसी जानकारी दिए हुए। जब मास्टर जी को मामला बढ़ता दिखा तो वह उन्होंने अपनी छुट्टी एप्लिकेशन ग्रुप पर साढ़े तीन बजे डाल दी। एक तरफ शासन प्रशासन बच्चों का भविष्य बनाने लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है। तो वहीं विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते ग्रामीण अंचलों के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यहां बच्चों के भविष्य के साथ जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है। क्षेत्र में कई ऐसे विद्यालय हैं जहां अतिथि शिक्षकों के भरोसे स्कूल संचालित हो रहे हैं। जबकि क्षेत्र के कई बड़े स्कूलों में स्थाई शिक्षकों की मांग निरंतर उठ रहीं है।। इस ओर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने के कारण लगातार जिम्मेदार शिक्षकों की ऐसी अनिमित्ताएं सामने आ रहे हैं।

ग्राम हकीमखेड़ी तौर की शासकीय प्राथमिक शाला में 40 बच्चों की संख्या दर्ज हैं  लेकिन मौके पर 15 बच्चे ही उपस्थित मिले। इन शालाओं में पूरा कामकाज किराये के शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। यहां शिक्षकों की कमी खल रही है। यहां पर शिक्षक पदस्थ तो है लेकिन अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए उन्होंने चंद रुपयों में किराए के शिक्षकों को रखा है। ताकि वह सिर्फ है घर बैठे सैलरी प्राप्त कर सकें। तो वहीं खानापूर्ति के लिए कभी कभार स्कूल जाकर उपस्थिति पंजी में अपने हस्ताक्षर कर अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर शासन प्रशासन से बिना काम किए सैलरी प्राप्त कर रहे हैं। इस और जिम्मेदार अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान न दिए जाने के कारण लगातार बच्चों के भविष्य को दांव पर लगाया जा रहा है। स्कूल में एक शिक्षक पदस्थ है और वह भी समय पर नहीं आते और पढ़ाई एक किराए के शिक्षक के सहारे चल रही है इस कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

एक मास्टर के भरोसे हैं पूरे सब्जेक्ट की पढ़ाई---जानकारी के अनुसार शासकीय प्राथमिक शाला हकीमखेड़ी कक्षा 1से 5 वीं तक चार विषय छात्रों को अध्ययन हेतु उपलब्ध है। जिनमें से इंग्लिश विषय के शिक्षक ना होने की वजह से छात्रों की रुचि होने के बाद भी उन्हें पढ़ाई करने के लिए नहीं मिल पा रही है। यहां स्थाई शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की शिक्षा पर पूरा असर प़ड़ रहा है। जिले में कई विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षकों की आवश्यकता नहीं होने के बावजूद तय पद से अधिक शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकता होने के बावजूद स्थाई शिक्षक विद्यालयों में नहीं जा रहे हैं। यह पूरी व्यवस्था शिक्षा विभाग की ओर से ही बिगड़ी हुई है। इन तमाम अव्यवस्थाओं के बीच शिक्षक की मनमानी भी छात्रों के अध्ययन पर खासा प्रभाव डाल रहे हैं।

न्यूज़ सोर्स : IND28.COM