सतीश मैथिल/ अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

शासकीय माध्यमिक शाला पड़रिया सरकारी स्कूल के हाल बेहाल हैं। यहां पर अध्यापक अच्छी शिक्षा के तमाम दावे करें। वेतन के लिए आंदोलन करें। लेकिन यदि कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चे एबीसीडी भी ना लिख पाएं तो यह उन अध्यापकों के लिए वाकई शर्म का विषय है। यहां एक स्कूल के 40 विद्यार्थियों में से केवल 5 विद्यार्थियों को एबीसीडी आती है। शासकीय माध्यमिक विद्यालय में एक मास्टर जी बिना किसी जानकारी के अपने काम में व्यस्त थे जो शाला नहीं आए मास्टर जी को पता चला की अखबार से प्रतिनिधि आए हैं। तो वह संकुल पर 12 बजे अपनी एप्लिकेशन पास करवाते हैं। जब की एक वर्ष में मास्टर अपनी जरूरत के लिए मात्र 13 अवकाश ले सकते हैं। लेकिन आजकल मास्टरो की मिलीभगत चल रही है। कम बच्चों पर दो मास्टर नियुक्त हैं। एक शाला संभालता है और दूसरा अपने काम में बिज़ी रहता है। पतिनिधि ने कक्षा 1 से लेकर 5 तक की छात्राओं को एबीसीडी के बारे में पूछा की एबीसीडी में कितने अक्छर होते है  तो परिणाम चौंकाने वाले सामने आए। कक्षा में मौजूद 40 छात्राओं में से केवल 5 छात्राएं ही एबीसीडी की सही संख्या बता पाए। वहीं गणित का एक सवाल किया गया। जिसमें पहाडे पूछे 2 से 10 तक कुल तीन बच्चों को पहाडे आते है। बाकी को 2 का पहाड़ा भी नही आता।

बच्चों को ना तो यह पता है कि हमारे कलेक्टर कौन है।

मुख्यमंत्री कोन है, प्रधानमंत्री कौन है, जनरल नालेज भी किसी बच्चे को नही है। बच्चो को अपने विद्यालय का नाम तक नहीं पता। 

कक्षा 1 से 5 की कक्षाओं में पहुंचने के बाद भी अगर पांच से भाग विद्यार्थियों को नहीं आता है तो यह बहुत की नाजुक स्थिति है। ऐसे में अध्यापकों को बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। पांच वर्ष में अगर बच्चे को एबीसीडी का ज्ञान नहीं है तो हालात काफी खराब हैं। ऐसे में कमजोर बच्चों के लिए नई शरूआत करने की आवश्यकता है। अध्यापिकाओं को विद्यार्थियों को आधार मजबूत करें। ताकि भविष्य में उन्हें परेशानी न झेलनी पड़े।


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