प्रयागराज । जूना अखाड़े से संबद्ध किन्नर अखाड़ा दो फाड़ हो गया है। अंदरूनी कलह की वजह से महामंडलेश्वर भवानीनंद गिरि ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने किन्नर अखाड़े अलग किन्नर धाम बना लिया है। उन्होंने किन्नर अखाड़े के नाम पर भूमि सुविधाएं लेने और शिविर लगाने से भी इनकार कर दिया है। 
किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने विवाद सुलझाने की कोशिश की लेकिन, मान-मनौव्वल बेकार चली गई। अखाड़े में घमासान तब तेज हो गया जब लक्ष्मीनारायण ने भवानीनंद गिरि के निष्कासन की घोषणा कर दी। निष्कासन के बाद भवानीनंद गिरि ने इस्तीफा दे दिया। इससे नाराज होकर भवानीनंद ने अलग राह बना ली। हरिद्वार में भवानीनंद गिरि उर्फ भवानी मां ने किन्नर अखाड़े से अलग किन्नर धाम बना लिया है। वह वहीं से ही सनातन धर्म के प्रचार के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने किन्नर घाट का भी निर्माण कराया है। इसके अलावा किन्नरों के हितों की रक्षा के लिए अलग आश्रम भी बना लिया है। भवानीनंद गिरि ने बुधवार को अमर उजाला से बातचीत में अखाड़े में मची रार को सार्वजनिक किया। उनका कहना था कि अब वह कभी भी किन्नर अखाड़े में कदम नहीं रख सकतीं। उन्होंने सभी पदों से त्याग पत्र दे दिया है। वहां उनकी जान को खतरा है। इसलिए उन्होंने अलग किन्नर धाम बनाकर सनातन के प्रचार का निर्णय लिया है।
वहीं, किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा कि किन्नर अखाड़े से किसी को निष्कासित नहीं किया गया है। लेकिन, जो लोग अलग संस्था बनाकर काम कर रहे हैं उनके लिए कोई जोर-दबाव भी नहीं डाला जा सकता। हमारी कोशिश देश-दुनिया के किन्नरों को एकजुट कर उन्हें अखाड़े में गरिमा और सनातन के अनुरूप सम्मान दिलाने का है।