सतीश मैथिल/अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

भगवान की कथा श्रवण मात्र से जीव को मुक्ति मिलती है। सारे वेदों का सार श्रीमद भागवत है। ये बात कथावाचक पंडित शिवराज कृष्ण शास्त्री ने ग्राम अंडिया में जारी सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कही।सांचेत वहेडिया, सगोनिया, पीपलखेड़ी, सोथर, निस्ददी खेड़ा आदि ग्रामों से कथा श्रवण करने के लिए अंडिया में पिछले दो दिन से भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। जनप्रतिनिधियों से लेकर साधु संत वर्ग के साथ आमजन पंडित शिवराज कृष्ण शास्त्री के मुखारबिंद से भागवत का आशय समझ रहे हैं। उसके आदर्शों को किस तरह आत्मसात किया जाए इसकी प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को पंडित शिवराज कृष्ण शास्त्री ने बताया कि कलयुग में जीव की मुक्ति का एकमात्र साधन श्रीमद भागवत है। उन्होंने श्रोताओं को गोकर्ण उपाख्यान सुनाया।इसके जरिए उनका संदेश व्यक्ति के नैतिक चरित पर जोर देना था। साथ ही भागवत कथा के महत्व को बताना थी।  ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा अगर कोई मनुष्य नियमपूर्वक सातों दिन श्रवण करें तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। गोकर्ण जी ने अपने भाई धुंधकारी की आत्मकल्याण के लिए श्रीमद् भागवत कथा कराई। धुंधकारी वायु के रूप में एक बांस में बैठ गया। प्रतिदिन कथा श्रवण की, एक-एक दिन उस बांस की एक-एक गांठ टूट जाया करती थी। सातवें दिन सातों गांठ टूट गई और धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ। आकाश मार्ग से धुंधकारी को भगवान के पार्षद विमान में लेने आए। जब धुंधकारी जाने लगा तो गोकर्ण जी ने भगवान के पार्षदों से सवाल किया है भगवान के प्रिय पार्षदों कथा धुंधकारी ने अकेले नहीं श्रवण की। कथा तो यहां सभी उपस्थित श्रोताओं ने भी श्रवण की है लेकिन उनके लिए विमान क्यों नहीं आया। कथा श्रवण करने अकेले मात्र से नहीं, कथा का साथ में मनन भी करें तब मुक्ति मिलती है। इस पर भगवान के पार्षदों ने कहा कि मुनि श्रेष्ठ गोकर्ण कथा तो सभी ने श्रवण की लेकिन धुंधकारी ने कथा श्रवण करने के पश्चात कथा का चिंतन-मनन भी किया कि आज भैया ने मुझे यह प्रसंग सुनाया आज कथा में भैया ने मुझे भगवान की सुंदर लीलाओं की कथा सुनाई। धुंधकारी दिन में कथा सुनता था और रात में भगवान की कथा का चिंतन-मनन करता था, इसलिए उसे मोक्ष प्राप्त हुआ

 

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