सांची की ऐतिहासिकता से बेखबर प्रशासन व पुरातत्व विभाग

वसीम कुरैशी सांची रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
कहने को तो यह स्थल अपने आप मे ऐतिहासिकता समेटे हुए हैं इसी ऐतिहासिकता से रूबरू होने देशविदेश के पर्यटक आते जाते रहते हैं इस स्थल पर आज भी बिखरी पड़ी पुरासम्पदा से सम्बंधित जिनके जिम्मे जिम्मेदारी सौंपी गई है वो या तो बेखबर हैं अथवा पुरासम्पदा की सुरक्षा करने की लापरवाही बरतने मे पीछे नहीं दिखाई देते इससे यह सालों प्राचीन पुरा संपदा नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई है ।जानकारी के अनुसार इस विश्व विख्यात स्थल की ऐतिहासिकता ढाई हजार साल प्राचीन मानी जाती हैं इसकी ऐतिहासिकता को बनाए रखने तथा इस क्षेत्र के आसपास बिखरी पड़ी बेशकीमती पुरा संपदा को सुरक्षित रखने के लिए अंग्रेजी शासन के दौरान प्रयास शुरू किए गए थे हालांकि अंग्रेजी अफसरों ने इस स्थल की तहसनहस स्थिति को देखते हुए काफी खुदाई करवा डाली थी तथा यहाँ से प्राप्त बेशकीमती वस्तुओं को अपने देश ले जाने मे सफल भी रहे थे इसके बाद भी अंग्रेजी अफसरों ने इन ढाई हजार साल पुराने स्मारकों की खोज के पश्चात इन्हें मूर्तरुप देने की कवायद के तहत प्रयास शुरू किये तथा कार्य भी शुरू कर दिया था ।परंतुजैसे जैसे समय गुजरता गया देश स्वतंत्र हो गया तथा देश में देश की सरकार बनी एवं इन पुरातात्विक धरोहरों को सहेजने का कार्य तेज गति से शुरू किया तथा इन्हें सुरक्षित संरक्षण की दिशा में केंद्रीय पुरातत्व विभाग के कंधों पर यह जिम्मेदारी सौंपी गयी ।तब से अब तक इन अनमोल धरोहरों को सुरक्षित संरक्षण की दिशा में लाखों करोड़ों रुपए फूंक दिए गए आजादी के लगभग 75 साल गुजरने के बाद भी आजभी बेशकीमती धरोहरें बेशुमार अनमोल धरोहर बिखरी पड़ी है न तो इन धरोहरों को सुरक्षित संरक्षण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा सके ।इन अनमोल धरोहरों को आज भी अपने सुरक्षित संरक्षित होने का इंतजार है ।बताया जाता हैं अनेक अनमोल बेशकीमती धरोहरों को मौका परस्त लोगों ने हाथ साफ कर दिया तथा जो बच गई वह भी लापरवाही के कारण बिखरी पड़ी है इन्हें न तो किसी को सुरक्षित रखने न ही संरक्षण की ही फिक्र हो सकी ।
प्रसिद्ध नागौरी की पहाड़ी पर वर्षों पुरानी ऐतिहासिक घोडी--यह पहाड़ी ऐतिहासिक होने के साथ ही अपने मे धरोहरों को समेटे हुए है ऐसा भी नहीं है कि इन सब बिखरी पड़ी पुरासम्पदा से पुरातत्व विभाग अनजान हो ।ऐसी ही एक हजारों साल पुरानी पत्थर की घोडी खडी हुई है इसकी सुरक्षा की फिक्र पुरातत्व विभाग को तो नहीं हो सकी परन्तु इस ऐतिहासिक घोडी की चिंता यहां रहने वाले ग्रामीणों को जरूर रही तथा ग्रामीण बर्सो पुरानी इस घोडी की देखरेख गांव के लोग अपने परिवार की तरह करते हैं यही कारण है यह घोडी सुरक्षित है हालांकि लोग बताते है कि इस घोडी के साथ एक छोटे बच्चे की प्रतिमा भी हुआ करती थी परंतु सालों पहले से ही यह गायब हो गया अब केवल घोडी रह गई वह भी जमीदोंज होने की कगार पर पहुंच गई है तब भी ग्रामीण इसकी सुरक्षा कर रहे हैं परंतु लापरवाह विभाग इन बेशकीमती बिखरी पड़ी पुरासम्पदा को सुरक्षित एवं संरक्षण करने मे नाकाम साबित हो चुका है ।जबकि पुरासम्पदा को सुरक्षित संरक्षित करने एक पुरातत्व संग्रहालय आजादी के बाद से ही अस्तित्व में ला दिया बावजूद इसके आज भी बिखरी पड़ी पुरा संपदा को अपने सुरक्षित रहने की दरकार बनी हुई है ।हालांकि इस पहाड़ी पर ही सौर ऊर्जा प्लांट निर्मित हो चुका है बताया जाता हैं कि सौर ऊर्जा ऐजेंसी द्वारा अपने निश्चित क्षेत्र में तारफैसिग कर दी है इस हजारों साल प्राचीन पत्थर की घोडी को सुरक्षित रखने के लिए प्लांट द्वारा इस घोडी के अपने क्षेत्र में सुरक्षित कर दिया है जिससे इसके सुरक्षित रहने की आस बंध गई है अब इस प्राचीन घोडी को सुरक्षित रखने प्रशासन को भी विधिवत कार्यवाही करने की जरूरत मेहसूस की जा रही है